उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी की दूसरी पारी..पर्दे के पीछे का खेल….

उत्तराखंड खबर की खबर

लगभग दस दिन के सस्पेंस के बाद आज भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में अपने निवर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर अपना विश्वास जमाए हुए उन्हें उनकी हार के बावजूद फिर से मुख्यमंत्री पद पर कायम रखने का साहसिक फैसला लिया है। पाँच राज्यों पंजाब,उत्तराखंड,गोवा,मणिपुर,और उत्तरप्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब को छोड़कर शेष चार प्रदेशों में अपनी सरकार बचाने की बड़ी जीत हासिल की है। इन चारों राज्यों की  जनता ने दोबारा बी जे पी पर ही अपना भरोसा कायम रखा है । गोवा, मणिपुर और उत्तरप्रदेश में निवर्तमान मुख्यमंत्रियों की जीत के कारण वहाँ पार्टी के पास नेतृत्व का कोई संकट नहीं था मगर युवा नेतृत्व के नाम पर लड़े गए चुनाव में भले ही पार्टी भारी बहुमत से जीत गई थी मगर  खुद मुख्यमंत्री धामी के अपनी परंपरागत सीट खटीमा से चुनाव  हIर जाने के कारण पार्टी के सम्मुख नई सरकार के नेतृत्व का संकट पैदा हो गया था। राजनीतिक हलकों में तमाम किस्से तैर रहे थे और तमाम दावेदारों के नाम गढ़े जा रहे थे। उत्तराखण्ड के नए मुख्यमंत्री की घोषणा में होते विलंब ने इन चर्चाओ को खूब हवा दी  मगर जिस प्रकार से लगभग आधा दर्जन जिनमें विशेषकर कुमायूं मण्डल से जीते हुए विधायकों ने धामी के समर्थन में अपनी सीट तक  छोड़ने का दांव चला और  प्रदेश संगठन के ज्यादातर  युवाओ का धामी के पक्ष में खुलेआम उतरने  के साथ ही  धामी का गुटबाजी से दूर रहकर सबके साथ सहज व्यवहार के साथ काम करना और आम जनता में उनकी लोकप्रियता या स्वीकार्यता भी तमाम राजनीतिक अवरोधों के बावजूद उनके पक्ष में सबसे बड़ी ताकत बनी। पार्टी सूत्रों के अनुसार अनिल बलूनी राष्ट्रीय नेतृत्व की पहली पसंद थे मगर उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस मोर्चाबंदी से खुद को अलग कर दिया जिससे धामी की राह आसान हो गई क्योंकि मुख्यमंत्री पद के  दूसरे बड़े दावेदार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक की पार्टी गुट बंदी के कारण त्रिवेंद्र सिंह रावत और मदन कौशिक जैसे बड़े नेता उनके कट्टर विरोधी होने कारण उन्हें स्वीकार नहीं कर पाते हैं। अंततोगत्वा पुष्कर सिंह धामी के प्रति पिछले चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह का समर्थन उन्हें लगभग हारी हुई  बाजी में फिर बादशाह बना गया।     

Spread the love