राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का कार्यकाल 25 जुलाई 2022 को समाप्त होने के बाद देश का पंद्रहवाँ राष्ट्रपति कौन बनेगा इसके तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत से लेकर वेंकटया नायडू और मेट्रो मैन ई श्रीधरन के साथ द्रौपदी मुर्मू के नामों पर खूब चर्चा हो रही है मगर प्रधानमंत्री मोदी और आर एस एस के मन की बात कभी आसानी से पता नहीं चल सकती। इसलिए सबसे बड़ी संभावना यही है कि देश का अगला राष्ट्रपति दक्षिण भारत से मिलने की बड़ी संभावनाएं है। तमाम हिंदी भाषी राज्यों में अपनी ताकत बढ़ा चुकी भाजपा का अगला निशाना दक्षिण भारत हो सकता है जहां कर्नाटक को छोड़कर उसे अन्य प्रदेशों में बड़ी कामयाबी नहीं मिल पायी है। एक सोची समझी रणनीति के अनुसार भाजपा उड़ीसा में नवीन पटनायक के खिलाफ नरम रणनीति के साथ काम कर रही है। एन डी ए सरकार के लगभग हर संकट पर नवीन पटनायक, आंध्र के जगन रेड्डी और तेलंगाना के चंद्र शेखर राव भाजपा के मददगार सिद्ध हो चुके हैं मगर तमिलनाडु और केरल की वर्तमान सरकारें बी जे पी की धुर विरोधी हैं। राष्ट्रपति चुनाव में बी जे पी के पास जरूरी बहुमत के लिए करीब 48.6 प्रतिशत वोट हैं और उसे अपना उम्मीदवार जिताने के लिए 1.4 प्रतिशत अतिरिक्त मतों की जरूरत है जिसके लिए उसे बीजद,वाई आर एस काँग्रेस या टी आर एस में से किसी एक को अपने पक्ष में लाने में शायद ज्यादा परेशानियाँ नहीं होंगी और बी जे पी के प्रस्तावित उम्मीदवार की जीत फिलहाल निश्चित है मगर बी जे पी किसी एक चुनाव को अगले चुनाव और अपनी धुर विरोधी पार्टी को चुनकर ही रणनीति बनाने में माहिर पार्टी है इसलिए संभव है कि इस बार देश को अगले राष्ट्रपति के रूप में तमिल नाडु से कोई नेता या नेत्री मिल जाए ताकि तमिलनाडु की द्रमुक सरकार बी जे पी के प्रत्याशी के विरोध में मतदान नहीं कर सके और बी जे पी को भी तमिल नाडु की राजनीति में पैर जमाने का अवसर मिल सके।दूसरी संभावना अनुसूचित जाति के वर्तमान राष्ट्रपति के बाद अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार होने की है जिसमें द्रौपदी मुर्मू भी बाज़ी मार सकती है.अब मोदी जी के मन की बात कौन समझ सकता है।
![](https://super7news.com/wp-content/uploads/2022/06/Ram_Nath_Kovind_official_portrait.jpg)