कहाँ खो गई उत्तराखंड के PCS अधिकारियों के IAS कैडर में प्रोन्नति की फ़ाइल ? सुप्रीम कोर्ट द्वारा 18 PCS को IAS में प्रमोशन के आदेश के बावजूद आखिर क्यों सुस्त है शासन?

उत्तराखंड राज्य के पहले PCS-2002 बैच के 12 डायरेक्ट रीक्रूट और उत्तरप्रदेश से मिले 6 PCS अधिकारियों  के IAS कैडर में प्रमोशन की फाइल कहीं गुम हो गई सी लगती है। यह हाल तब है कि जनवरी माह में ही सर्वोच्च न्यायालय तक इन अधिकारियों के प्रमोशन के लिए राज्य सरकार को डी पी सी करने के आदेश जारी कर चुका है। जहां एक ओर प्रदेश में IAS अधिकारियों की कमी होने के कारण वर्तमान में एक अधिकारी  के पास कई कई विभागों  का बोझ  है और दूसरी ओर इन वरिष्ठ PCS अधिकारियों के अनुभव का लाभ प्रदेश को नहीं मिल पा रहा है। यह भी ध्यान में रखने का विषय है कि   इन अधिकारियों में ज्यादातर लोग उत्तराखंड प्रदेश के ही हैं जिन्हें यहाँ की भौगोलिक और सामाजिक परेशानियों का जमीनी स्तर पर ज्ञान है मगर शायद इनमें से ज्यादातर का स्थानीय होना ही इनके प्रमोशन की राह में  अड़चनें डाल रहा है क्योंकि एक कड़वा  सत्य यही है कि उत्तराखंड की राजसत्ताओं  ने ज्यादातर राज्य से बाहर के IAS अधिकारियों के प्रति ही अपना ज्यादा स्नेह दिखाया है क्योंकि शायद यही  उनकी या उनके शीर्ष नेतृत्व के अपने लाभ हानि के  खांचे में फिट बैठ पाता है जिसमें स्थानीय अधिकारी अपनी स्थानीयता के कारण ही शायद पीछे छूट जाते हैं। गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य निर्माण के 21 वर्षों के भीतर  राज्य लोक सेवा आयोग ने मात्र सात परीक्षाएं आयोजित की हैं जिनमें PCS- 2002 का परिणाम नौ जून 2005 में, PCS-2004 का  आठ नवंबर 2008 को, 2006 की परीक्षा का  14 जून 2010 को, 2010 की परीक्षा का 23 अगस्त 2014 को, 2012 की परीक्षा का 27 अगस्त 2017 को जबकि 2016 की PCS परीक्षा का परिणाम पांच जुलाई 2019 को घोषित किया था। 2016 के पाँच साल  बाद अभी 3 अप्रैल को PCS की परीक्षा आयोजित की गई। सरकारी सूत्रों के अनुसार प्रदेश में डिप्टी कलक्टर पद  पर अधिकारियों की काफी कमी है मगर शायद प्रदेश में कुछ ताकतें नहीं चाहती कि प्रदेश के ही लोग शासन में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हों और यह स्थिति भले ही राजनेताओं के लिए लाभ की हो मगर प्रदेश में युवाओं के भविष्य और  प्रदेश के विकास के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। देखना होगा कि वर्तमान युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  इन गंभीर प्रशासनिक  मामलों में कितनी सक्रियता दिखाते हैं क्योंकि उनके राजनीतिक इच्छाशक्ति से  निर्णय लेने की क्षमता पर ही सब कुछ निर्भर करता  है। फिलहाल प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार 18 वरिष्ठतम PCS अधिकारियों के IAS कैडर में प्रमोशन की प्रक्रिया में संघ लोक सेवा आयोग को इनकी DPC के लिए पत्र भेज दिया  गया है और उम्मीद की जा सकती है कि प्रदेश में शासन को जल्दी ही नए और अनुभवी IAS अधिकारी मिल जाएंगे।

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