मसूरी शहर अपने सबसे खराब दौर में……शासन प्रशासन खामोश……सोये हुए स्थानीय जनप्रतिनिधि…..जनता बेबस क्यों ?

मसूरी

मसूरी शहर आज अपने सबसे खराब दौर में दिख रहा है। दुनिया भर में प्रसिद्ध माल रोड तो आज आँसू बहाने के  साथ  साथ  धूल के गुबार भी बहा रही है। शहर के मुख्य मार्ग के साथ ही सभी अंदरूनी मार्ग भी अपने नसीब को कोसते नजर आ रहे हैं। प्रदेश सरकार हो या भारत सरकार या फिर स्थानीय सरकार में बैठे जिम्मेदार लोग किस प्रकार से जनता के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहे हैं यह दिखाने  के लिए बस एक बार मसूरी की माल रोड पर  नजर डालना जरूरी  है। हालात  यहाँ तक खराब हो चुके हैं कि देश के लिए  सबसे बड़े सरकारी IAS अधिकारियों को पैदा करने वाली लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी जाने वाली सड़क खुदाई की गहरी  चोट  के बाद  आज मरम्मत रूपी मलहम की मांग कर रही है। माल रोड पर जगह जगह सीवर के गड्ढे सड़क के भीतर धंस कर ऐसे समाते जा रहे हैं मानो किसी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हों। स्थिति  साफ साफ बयान कर रही है कि अब ना  क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को और न प्रशासनिक अधिकारियों को  शहर की कोई फिक्र है। ले देकर किसी तरह से पुलिस विभाग बल की भारी कमी के बावजूद पर्यटन सीजन में हाँफते  हुए  काम करता और यातायात व्यवस्था संभालता दिख रहा है। माल रोड पर ही  कई जगहों पर सफाई कर्मचारी बंद पड़ी सीवर लाइनों के गड्ढों पर मरम्मत करते दिख रहे हैं मगर सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि जनता बेबस और लाचार होकर सब कुछ सह रही है।  पर्यटक हैरान हैं  कि क्या हजारों रुपये खर्च कर पहाड़ों की रानी माने जाने वाली ऐसी मसूरी को देखने के लिए ही वो इतने उत्साहित थे। मगर हकीकत यही है कि  पूरे सरकारी अमले को मालूम है कि मसूरी में यह बस  कुछ ही दिनों की बात है बाकी सीजन खत्म तो मसला भी खत्म। आखिर  लोगों को ये सब सहने की आदत सी जो पड़  गई है। मगर समय के साथ मसूरी में सुधार की जगह बदतरीन होती व्यवस्थाएं  मसूरी के भविष्य के लिए चिंताजनक बात है।

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