लॉक डाउन पार्ट 3 में दी गयी कुछ राहतों के बाद देश में कोरोना संक्रमण पीड़ितों की संख्या में भले ही कुछ तेजी आ गयी हो मगर देश के हालात सुधारने की कोशिशों में कामयाबी मिलनी भी शुरू हो गयी है,देश के विभिन्न राज्यों में स्थानीय प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद विभिन्न उद्द्योगों में सीमित कर्मचारियों के साथ उत्पादन भी आरम्भ हो गया है.इसके साथ ही सरकार और मजदूरों को कुछ राहत सी मिलनी शुरू हो गयी लगती है.कोरोना प्रभाव के कारण लॉक डाउन के पिछले दो फेज में मजदूर वर्ग ही सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है. मगर सरकारों के सामने परेशानियां ही परेशानियां खड़ी नजर आ रही हैं. एक तरफ लॉक डाउन के तीसरे चरण में कुछ उद्द्योगों को उत्पादन शुरू करने की सशर्त अनुमति तो दे दी गयी है वहीं दूसरी तरफ सरकार लाखों प्रवासी मजदूरों को उनके घर वापिस भेजने में भी जुटी है. इन प्रवासी लोगों में ज्यादातर ध्याड़ी मजदूर,अकुशल,अर्ध कुशल और कुशल श्रमिक शामिल हैं.यदि सभी उद्द्योग अपना उत्पादन शुरू करना भी चाहें तो श्रमिकों की कमी की समस्या से उन्हें जूझना पड़ सकता है. फिलहाल पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर प्रतिदिन तीन हजार के आसपास पंहुच चुकी है.मगर कुछ विशेषज्ञ इससे ज्यादा चिंतित नहीं हैं उनका मानना है कि पहले दो फेज में सख्ती के बाद चार मई से दी गयी राहतों जिनमेअन्य फुटकर दुकानों विशेषकर शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति और फलस्वरूप इन दुकानों पर जमा भारी भीड़ के साथ साथ लाखों लोगों को ट्रेन ,बस या अन्य साधनो के द्वारा देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पंहुचाने तथा विदेशों में फंसे भारतीयों को देश में लाने के दौरान कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ना स्वाभाविक है.साथ ही देश में कोविड-19 की जांच की संख्या बढ़कर लगभग 95,000 प्रतिदिन हो चुकी है जिससे इस संख्या में बढ़ोतरी होना ज्यादा चिंता का विषय नहीं है. तमाम विशेषज्ञों और मीडिया के द्वारा प्रचारित इस खबर पर कि कोरोना संक्रमण का पीक अभी आना बाकी है और जून जुलाई में इसकी ज्यादा संभावना है, इस आशंका पर देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने एक समीक्षा के दौरान बताया कि संभव है कि हमारे देश में अन्य विकसित देशों की तरह अनियंत्रित हालात नहीं हों फिर भी पिछले दो लॉक डाउन के भीतर हम बुरी से बुरी परिस्थिति के लिए भी तैयारी कर चुके हैं. पीक लेवल पर संभावित संक्रमित लोगों के तुरंत इलाज के लिए 1,65,991 बिस्तरों वाले 8,043 कोविड अस्पताल और 1,35,643 बिस्तरों वाले 1,991 कोरोना वायरस डेडिकेटेड स्वास्थ्य केंद्र तैयार हैं इनमे वेंटीलेटर और ऑक्सीजन सहित पृथक वार्ड और आईसीयू की व्यवस्था की जा चुकी है.इसके साथ ही प्रवासी श्रमिकों और विदेश से आने वाले लोगों को रखने के लिए पूरे देश में 7,640 आइसोलेशन सेंटर बनाए गए हैं, जरूरत पड़ने पर इनका उपयोग भी किया जा सकता है. डॉक्टर हर्षवर्धन ने बताया कि राज्य सरकारों को अभी तक 69 लाख एन-95 मास्क और 32.76 लाख पीपीई किट भी वितरित किए जा चुके हैं।
उधर दूसरी ओर भारतीय खुदरा विक्रेता संघ (आरएआई) के साथ ऑनलाइन बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि यह एक आर्थिक युद्ध भी है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत के साथ हमारे प्रोडक्ट की गुणवत्ता भी महत्व रखती है इसलिए उद्योग जगत की विशेषज्ञता को उन्नत करने का भी यह अवसर है. गडकरी ने खुदरा विक्रेताओं को सरकार द्वारा वित्तीय मदद दिए जाने की मांग पर भी विचार करने का आश्वासन दिया और कहा कि वह इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से बात करेंगे. गडकरी ने खुदरा विक्रेताओं को धैर्य रखने की सलाह देते हुए कहा कि उन्हें अब कोरोना वायरस के साथ जीवन जीने की कला सीख लेनी चाहिए. नितिन गडकरी ने खुदरा व्यापार को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का दर्जा देने की उनकी मांग पर विचार करने का भी आश्वासन दिया।