मनोज रावत (INC)
शैलारानी रावत (BJP) सुमंत (AAP) गजपाल सिंह (UKD)
रुद्रप्रयाग जिले की केदारनाथ विधानसभा 2022 के चुनाव में वर्तमान कांग्रेसी विधायक मनोज रावत की प्रतिष्ठा दांव पर है। 2017 के चुनावों में मनोज रावत निर्दलीय कुलदीप रावत को मात्र 869 वोट से पराजित कर विजयी हुए थे। इस चुनाव में बी जे पी से शैलारानी रावत उम्मीदवार बनायी गई थी फलस्वरूप पार्टी की पिछली दो बार की विधायक आशा नैटियाल भी अपना टिकट काटने के विरोध में इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ गई थी और बी जे पी की अधिकृत प्रत्याशी से भी ज्यादा वोट ले कर तीसरे स्थान तक पहुँच गई थी और उसे चौथे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था । पिछले चुनावों की तुलना में वर्तमान चुनावों में परिस्थितियाँ थोड़ी भिन्न हैं। पिछली बार मामूली अंतर से चुनाव हारे कुलदीप रावत एक बार फिर चुनावी अखाड़े में उतर गए हैं। बी जे पी ने इस बार फिर शैलारानी रावत को ही उम्मीदवार बनाया है और आशा नौटियाल के मैदान में नहीं होने से शैलारानी रावत अपनी जीत के प्रति थोड़ा आश्वस्त लग रही हैं। आम लोगों में कुलदीप की लोकप्रियता बढ़ रही है आम लोगों से बातचीत करने पर लोगों ने बताया कि कोरोना काल में जब सभी नेता अपने अपने घरों में कैद थे तब निर्दलीय उम्मीदवार कुलदीप रावत जनता के बीच सक्रिय रह कर लोगों को मदद और राहत पहुंचा रहे थे। लोगों के सुख दुख में हमेशा साथ देने की आदत के चलते कुलदीप क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी हुयी है। पिछले चुनाव में मनोज रावत ने किसी तरह से बामुश्किल पार्टी की इज्जत बचा ली थी जबकि गढ़वाल मण्डल की चमोली,टिहरी,पौड़ी इन तीन पर्वतीय जिलों में पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया था। केदारनाथ के अलावा पार्टी केवल उत्तरकाशी जिले से पुरोला और देहरादून से चकराता सीट ही जीत पायी थी यद्यपि हरिद्वार जिले में पार्टी तीन सीट पर सफल रही थी मगर हरीश रावत वहाँ से खुद चुनाव हार गए थे। इन चुनावों में मनोज रावत के पास अपनी सीट बचाने की बड़ी चुनौती है तो शैलारानी रावत भी पार्टी संगठन और मोदी मैजिक के सहारे मैदान में हैं इनके अतिरिक्त आम आदमी पार्टी से सुमंत और उत्तराखंड क्रांति दल से गजपाल सिंह रावत भी अपनी अपनी पार्टी की मौजूदगी दर्शाया रहे हैं मगर निर्दलीय होने के बावजूद कुलदीप रावत दोनों बड़े धुरंधरों से एक साथ निपटने की कोशिश कर रहे हैं और तीनों रावत अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। हकीकत यही है कि दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के लिए इन चुनावों में केदारनाथ सीट पर कुलदीप रावत बड़ा खतरा बने हुए हैं।