पॉलिटिक्स कैसे कैसे रंग बदलती है ये उत्तराखंड में होने वाले चुनाव में पूरी दुनिया के सामने है। दल बदल का जैसा बदरंग खेल इस छोटे से प्रदेश में शुरू हुआ है वह प्रदेश और देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक बेहूदा मजाक बन कर रह गया है और देवभूमि,वीरभूमि के नाम से जानी और पूजी जाती ये उत्तराखंड की धरती अब दल बदलू नेताओं के लिए खाद पानी के रूप में बदल चुकी है। बहरहाल उत्तराखंड की वर्तमान राजनीति में एक ओर युवा धामी पर अपनी पार्टी को दोबारा सत्ता में लौटाने की बड़ी जिम्मेदारी है वहीं वयोवृद्ध और अनुभवी हरीश रावत और फौजी अफसर रहे कर्नल कोठियाल के ऊपर भी अपनी अपनी पार्टी का दमखम दिखाने की जिम्मेदारी है। वैसे तो आम लोगों के साथ अपना सीधा कनेक्शन जताने के लिए हरीश रावत पिछले चुनाव में मुख्य मंत्री रहते देहरादून की सड़कों पर जलेबी भी तल चुके हैं मगर कल अपने चुनाव क्षेत्र के बिंदूखाता में हरीश रावत को कबड्डी के मैदान में हू तू तू करते देख कर महशूस हुआ कि ये पॉलिटिक्स भी क्या क्या नहीं कराती है। ये राजनीति का ही तो खेल है कि पिछले महीने तक सरकार में ही रहकर पूरी सरकार को ही नचाने वाले हरक सिंह रावत इस बार अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार बेगार होकर बस किसी तरह से अपनी बहू को जिताने की कोशिश करते लेन्सडाउन में घूम रहे हैं।