मसूरी विधानसभा सीट पर अपराजेय नहीं हैं गणेश जोशी……बेहतर रणनीति से विपक्ष पड़ सकता है भारी….

चुनावी चहल पहल मसूरी

                   

मसूरी।। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की गहमा गहमी जारी है और इन जाड़ों में पहाड़ों की रानी मसूरी भी ठंड से ठिठुर रही है और चुनावी गरमी बढ़ने का इंतजार कर रही है। अभी तक किसी भी दल ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं परंतु सत्तारूढ़ भाजपा से निवर्तमान विधायक और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी का चुनाव लड़ना लगभग तय  लगता है। हाँ कहीं कहीं यह चर्चा भी तैर रही है कि इस बार वो अपने राजनीतिक गुरु हरबंश कपूर के निधन के पश्चात खाली हुयी देहरादून केंट विधानसभा क्षेत्र से भी अपनी दावेदारी कर  सकते हैं परंतु इसकी संभावनाएं काफी कम दिखती हैं। दूसरी ओर एक उड़ती खबर यह भी सुनाई दे रही है कि कांग्रेस की चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी मसूरी पर नजर लगाए हुए हैं लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हरीश रावत शायद ही हरिद्वार जिले को छोड़ कर यहाँ से अपनी  दावेदारी करें। फिलहाल भाजपा के पास गणेश जोशी एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में मौजूद हैं। कांग्रेस से पूर्व में दो बार इसी क्षेत्र से विधायक रहे और वर्तमान  में क्रिकेट एसोसिएशन उत्तराखंड के अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला पहले ही इस सीट पर अपनी दावेदारी जाहिर  कर चुके हैं और इसी सीट पर पार्टी टिकट की उम्मीद टिकाए पिछले चुनाव में बारह हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव हारी गोदावरी थापली के साथ कदमताल कर पार्टी में एकजुटता का एहसास करवा रहे हैं। यह आम चर्चा है कि कांग्रेस से इन्ही दो में से किसी एक को उम्मीदवार बनाया जा सकता है जिसमें महिला होने का लाभ गोदावरी थापली को मिल सकता है। प्रदेश चुनावों में पहली बार गंभीरता से चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी ने अभी तक मसूरी से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है मगर यदि पिछले चुनावों का एक नजर से विश्लेषण किया जाए तो तमाम विरोधों के बावजूद क्षेत्र में अपनी निरंतर सक्रियता की वजह से गणेश जोशी का पलड़ा भारी दिखता है किन्तु निर्दलीय प्रत्याशी मनीष गौनियाल का उनके विरोध में खुले आम उतरना और उनके वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने की लगातार की जा रही कोशिशों के बीच यदि गंभीरता के साथ आकलन किया जाए तो पिछले दोनों चुनावों में गणेश जोशी की जीत का प्रतिशत 15 से 16 प्रतिशत  के आसपास रहा है जिसका प्रमुख कारण विधानसभा में वोट डालने वाले लोगों की संख्या का बढ़ना है जो कि 2012 में 2007 से लगभग 67 प्रतिशत और 2017 में 2012 से लगभग 20 प्रतिशत बढ़ी है परंतु जीत का अंतर उसकी तुलना में काफी कम है। पिछले चुनाव परिणामों को समझकर ये  कहीं नहीं लगता  कि गणेश जोशी  विधानसभा चुनावों  में हमेशा ही अपराजेय हैं।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *