पिछले कुछ दिनों से कोरोना मरीजों की संख्या अब लगातार बढ़ने लगी है. कुछ लोग इसका सम्बन्ध तब्लीगी जमातियों से जोड़ रहे हैं मगर इसका ये भी कारण हो सकता है कि अब कोरोना टेस्ट सेण्टर की संख्या हर प्रदेश में बढ़ायी जा रही है और लगातार ज्यादा सैंपल टेस्ट किये जा रहे हैं और उनके परिणाम भी ज्यादा संख्या में मिल पा रहे हैं.मगर सरकार इस मामले में कोई ढील देती नजर नहीं आती. देश व्यापी लॉक डाउन 14 अप्रैल को खत्म होने जा रहा है.प्रधानमंत्री मोदी स्वयं इस मामले की निगरानी कर रहे हैं.प्राप्त जानकारी के अनुसार आज भी उन्होंने इस मामले में संसद में विपक्ष के विभिन्न दलों के नेताओं गुलाम नबी आजाद और शरद पवार सहित अन्य दलों के नेताओं के साथ लॉक डाउन घोषणा के बाद पहली बार वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की और उनसे देश में कोरोना महामारी की वर्त्तमान स्थिति तथा इससे निपटने की भविष्य की योजना के बारे में उनके विचार जाने. प्रधानमंत्री इससे पूर्व पिछली 25 मार्च को भी एन डी ए शासित राज्यों सहित सभी विभिन्न राज्यों के मुख्य मंत्रियों से भी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से इस विषय पर चर्चा कर चुके हैं और पूर्व राष्ट्रपतियों प्रतिभा पाटिल, प्रणव मुखर्जी तथा पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा एवं मनमोहन सिंह से भी बात कर चुके हैं साथ ही साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी,TMC नेता ममता बनर्जी तथा DMK नेता एम् के स्टालिन से भी इस विषय पर चर्चा कर चुके हैं,प्रधानमंत्री लगातार डॉक्टरों,पत्रकारों सहित तमाम अधिकारियों और जानकारों से इस महामारी को रोकने के वर्त्तमान तरीकों और भविष्य की योजना के बारे में उनकी प्रतिक्रिया और फीडबैक भी ले रहे हैं. वर्त्तमान में कई राज्यों के मुख्यमंत्री लॉक डाउन अवधि को बढ़ाने के पक्ष में अपनी भावनाएं मीडिया के द्वारा भी जाहिर कर चुके हैं. अब देखना हैं कि सरकार इस पर क्या निर्णय लेती हैंक्योंकि सरकार के सामने देश के करोड़ों गरीब लोगों का सवाल भी खड़ा हैं मगर सच्चाई तो यही हैं कि अगर एकदम से लॉक डाउन हटाया गया तो कोरोना मरीजों की संख्या में एकाएक भारी वृद्धि होने की प्रबल संभावनाएं भी हो सकती हैं. क्या सरकार इतना बड़ा खतरा उठा सकती हैं. इसलिए ज्यादा उम्मीद इसी बात की हैं कि लॉक डाउन की अवधि ही बढ़ायी जाएगी.