लॉक डाउन बढ़ाना तो आसान मगर आगे चुनौतियों से कैसे निपटेंगे मोदी जी….

उत्तराखंड चुनावी चहल पहल देश दुनिया मसूरी

भले ही अभी देशव्यापी लॉक डाउन में देश में कोरोना संकट स्टेज थ्री में प्रवेश नहीं कर पाया है, कल प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के बाद कुछ राज्यों में विशेषकर गैर भाजपा शासित राज्यों ने अपने अपने प्रदेशों में लॉक डाउन की अवधि को 14 अप्रैल से बढ़ा कर केंद्र के आदेश से पूर्व ही 30 अप्रैल तक कर दिया हो मगर केंद्र सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय है कि खस्ताहाल स्वास्थ्य सुविधाओं , लॉक डाउन के आदेश के बाद 90 करोड़ से ऊपर अल्प आय वर्ग की दयनीय आर्थिक स्थिति के साथ ही खाद्य सुरक्षा को संभालना भी बहुत बड़ी समस्या बन सकती है.माना कि प्रधानमंत्री को देश और दुनिया के प्रमुख नेताओं का साथ और सपोर्ट मिल रहा हो,भले ही आज मोदी अमेरिका सहित दूसरे कई देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा सप्लाई कर पूरी दुनिया में भारत का नाम ऊंचा कर रहे हों,दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क में अपनी भूमिका को मजबूत कर चुका हो,मगर अपने देश के भीतर आये इस महासंकट से मोदी कैसे निपटेंगे ,ये भी बहुत बड़ा विषय है. सरकार ने वैसे तो पूरा प्रयास किया है कि जन धन खातों में 500 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से तीन महीनो तक सरकार पैसे डालेगी. आज हालत ये है कि रबी की फसल खेतों में तैयार खड़ी है मगर लॉक डाउन के कारण किसान अपनी तैयार फसल को नहीं काट पा रहे हैं, जिस प्रकार से लोगों ने घबरा कर दो तीन महीनो का राशन घर में जमा कर दिया है उसके कारण भी देश की इतनी बड़ी आबादी के लिए खाद्य सामग्री जुटाना भी आने वाले समय में सरकार के लिए एक बड़ी समस्या बन सकती है.इसी सन्दर्भ में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने तो सरकार को सलाह भी दी है कि इस आपातकाल में मनरेगा मजदूरों,जन धन खातेदारों और चिह्नित गरीब मजदूर परिवारों के लगभग 13 करोड परिवारों के खातों में सरकार रेमॉनीटाइजेसन के अंतर्गत पांच हजार प्रतिमाह के हिसाब से पैसे डाले तो उनको कुछ मदद मिल सकती है. मगर सरकार के सामने सवाल फिर यही है कि सभी औद्योगिक संस्थान और वेयर हाउस तो लोक डाउन में बंद हैं. श्रमिक उपलब्ध नहीं, ट्रांसपोर्टर ड्राइवर की कमी से जूझ रहे हैं, सभी राज्यों और जिलों की सीमायें सील हैं, ऐसी परिस्थितियों में लॉक डाउन बढ़ाना तो भले ही वक्त की जरूरत के हिसाब से ठीक होगा मगर दूसरी लोगों की समस्याओं से कैसे मोदी जी निपटेंगे,यही आने वाले कुछ दिनों में पता चलने वाला है.

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