राहुल की रायबरेली से उम्मीदवारी काँग्रेस की चौंकाने वाली रणनीति, दक्षिण और उत्तर भारत पर कब्जा, मोदी सरकार बचाव की मुद्रा में , प्रियंका का चल रहा जादू

 लोक सभा चुनाव 2024.. किस्सा कुर्सी का   

पिछले दो लोकसभा चुनावों के विपरीत इस बार मोदी सत्ता का सामना बेहद चतुराई से बनायी गई विपक्ष की रणनीति से हो रहा है।आखिर काँग्रेस ने अपनी परंपरागत अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवारों की घोषणा कर ही दी। अब रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से विश्वस्त किशोरी लाल शर्मा पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। प्रधान मंत्री मोदी भले ही अपने भाषणों में डरो मत भागो मत पर काँग्रेस विशेषकर राहुल गांधी पर कटाक्ष कर रहे हों मगर अंदर से काँग्रेस की इस रणनीति से बेहद आशंकित हैं । पहली बार बी जे पी को आक्रमण की जगह बचाव की मुद्रा में आने को विवश होना पड़ा है। वैसे भी अबकी बार चार सौ पार का नारा पार्टी को चौतरफा नुकसान पहुँचा चुका  है। पिछले दो चरणों में 191 सीट पर हुए मतदान ने बी जे पी नेतृत्व के माथे पर शिकन ला दी है। उधर विपक्ष इस बार मोदी सरकार पर पूरी ताकत के साथ हमलावर है। फिलहाल पूरी तरह से संगठित इंडिया गठबंधन लगातार बेरोजगारी, महंगाई, अग्निवीर, आरक्षण, जातिगत जनगणना, किसान, भ्रष्टाचार,विरोधियों को जेल भेजना, दल बदल करवाना,कर्नाटक में अश्लील सी डी कांड  और चुनावी चंदे पर मोदी सरकार पर हमले कर उसे पहली बार बचाव की मुद्रा में ले आया है और यहीं पर गठबंधन की बढ़त  साफ दिखाई देती है । चुनावी नतीजे भले ही कुछ हों मगर जिस प्रकार से विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी को  मंगलसूत्र, भैंस जैसे हल्के मामलों पर बोलने को विवश कर दिया है यह दर्शाने के लिए काफी है कि वर्तमान चुनावों में विपक्ष के उठाए मुद्दों पर सरकार जवाब देने में असहज है। काँग्रेस के न्याय पत्र के रूप में चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे सहित विपक्ष के मुद्दों पर घबराकर  पी  एम  मोदी मंगल सूत्र, हिन्दू मुसलमान की राजनीति पर खेलने लगे मगर वो सब अब उलटा  पड़ने लगा  है। असल में   बी जे पी की सबसे बड़ी समस्या खुद प्रधानमंत्री मोदी हैं क्योंकि उनके पास खुद के जादू के सिवाय बाकी कुछ बचा  नहीं है। पूरे देश में यह स्पष्ट दिखायी दे रहा है कि मोदी के अतिरिक्त किसी भी नेता को सुनने में जनता को कोई रुचि नहीं है। स्वयं प्रधानमंत्री की सभाओं में जनता को इस बार गठबंधन के सवालों पर सफाई देते हुए बेहद हल्के स्तर पर उबाऊ भाषण सुनने को मिल रहे हैं।  उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी को भले ही मोदी शाह की जोड़ी पसंद न करती हो मगर उनके अलावा बी जे पी के पास अन्य  प्रदेशों में प्रभावशाली नेताओं की शून्यता उन्हें नुकसान पहुँचाती दिख  रही है  जबकि गठबंधन के पास राष्ट्रीय स्तर पर इस बार एक नए परिपक्व रूप में बेहद बदले हुए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हैं, राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे,सिद्धारमैया और डी के शिव कुमार  कर्नाटक में, तेजस्वी बिहार में, उद्धव ठाकरे, शरद पँवार महाराष्ट्र में, आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब में, रेवंत रेड्डी तेलंगाना में, सचिन पायलट राजस्थान में और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार से गठबंधन को जनता की नजर में बड़ी ताकत  बनाने में कामयाब हुए हैं वो शायद वर्तमान सत्ता के लिए खतरे की बड़ी घंटी है। दक्षिण में तमिलनाडु, केरल जैसे बड़े राज्यों में हो चुके चुनावों में पार्टी को अपना खाता खोलने में ही बड़ी कठिनाइयों का सामना पड़ चुका है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी भले ही एक सोची समझी रणनीति के अनुसार आज गठबंधन मे साथ न हों मगर गठबंधन के भीतर समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, काँग्रेस से ज्यादा  ममता बनर्जी के बेहद करीबी हैं और  आवश्यकता पड़ने पर चुनाव उपरांत गठबंधन में शामिल होना निश्चित है ।

इन चुनावों में राहुल के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा ने जिस शानदार तरीके से प्रचार की कमान संभाली है उससे पूरे देश में बी जे पी समर्थकों के साथ अन्य मतदाता आश्चर्य चकित है। अपने भाषणों में  जिस प्रकार से वो जनता के साथ सीधे सीधे मुद्दों पर  बातचीत सी  करने लगती हैं वह एक अविश्वसनीय परिवर्तन है। जिस प्रकार से उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों की शहादतों का जिक्र कर प्रधानमंत्री  मोदी पर आक्रमण किया है उसने  प्रधानमंत्री को असहज कर दिया है इसलिए इन चुनावों में गठबंधन की सफलता में उनका भी बेहद महत्वपूर्ण योगदान होगा। फिलहाल चुनाव परिणाम क्या होंगे ये भविष्य के गर्त में है मगर यह स्पष्ट दिखायी दे रहा है कि 2014,2019, के चुनावों में बेहद आक्रामकता के साथ चुनाव में उतरी बी जे पी इस बार बचाव की मुद्रा में आकर आखिरी सांप्रदायिकता का पत्ता लेकर खेलने लगी  है तो उसका कारण  राहुल प्रियंका के साथ गठबंधन के सभी क्षत्रपों की रणनीतिक कुशलता है  जिससे  उन्होंने पहली बार बी जे पी को अपनी चालों के अनुसार खेलने को बाध्य कर दिया है। राजनीति भी एक शतरंज का खेल है जहां चतुर खिलाड़ी  अपनी चालों के अनुसार विरोधी को खेलने को मजबूर कर मात दे देता है, फिलहाल देश की राजनीति में यही हो रहा है। शह और मात का खेल लगातार जारी है। कौन देगा शह और किसकी होगी मात यह चार जून को स्पष्ट हो जाएगा।