भारतीय सेना में सैनिकों की भर्ती के लिए घोषित विवादास्पद अग्निपथ योजना को लेकर देश के कई राज्यों में मचे भारी बवाल के बीच सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्यमंत्री व पूर्व आर्मी चीफ वी के सिंह ने एक विवादास्पद बयान देकर सरकार के सम्मुख परेशानी पैदा कर दी है।
एक ओर पूरी सरकार इस योजना को युवाओं के रोजगार से जोड़ कर दिखा रही है उधर जनरल सिंह ने एक बयान में कहा कि सेना नौकरी यानि रोजगार का साधन नहीं है। वैसे तो इस योजना के विरोध में सोशल मीडिया पर खूब कार्टून बनाए जा रहे हैं
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मगर सरकार के एक मंत्री और वो भी सेना में सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी सरकार के खिलाफ मुकदमा लड़ने वाले वी के सिंह का यह बयान तमाम राज्यों में फैले उग्र आंदोलन में आग में घी डालने का काम कर सकता है। ज्ञातव्य है कि इस योजना के विरोध को देखते हुए सरकार ने बैक फुट पर आकर अब इस योजना में अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु सीमा 21 वर्ष से बढ़ा कर भले ही 23 वर्ष कर दी है मगर उत्तरप्रदेश, बिहार, हरियाणा,उत्तराखंड से लेकर तेलंगाना तक इस आंदोलन की आंच पँहुच चुकी है। तमाम जगह रेलवे सहित कई सरकारी संपत्तियों को बड़ा नुकसान पहुंचाया जा रहा है और बी जे पी नेताओं और उनके घरों को भी टारगेट किया जा रहा है।
इसलिए बेहतर है कि सरकार के जिम्मेदार लोग युवाओं के आक्रोश को समझें और उन्हें समझाएं कि यह योजना उनके कल्याण के लिए है और इसमें उन्हें कितना और कैसे लाभ पहुँच सकता है। यह बेहद गंभीर मसला है क्योंकि युवा ही बी जे पी की सबसे बड़ी ताकत हैं और उनकी नाराजगी आने वाले समय में पार्टी को बहुत भारी पड़ सकती है।