क्या बी जे पी का मास्टर स्ट्रोक सिद्ध होगा हरक सिंह का निष्कासन !! कांग्रेस के भीतर भी चल रहा क्या हरीश रावत को ही घेरने का खेल ??

      

सरकार के कद्दावर मंत्री हरक सिंह रावत का बी जे पी और सरकार से निष्कासन इन चुनावों में बी जे पी का सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक सिद्ध हो सकता है। हरक को बिना कोई  मौका दिए उनके खिलाफ इतनी बड़ी कार्यवाही बहुत बड़ी रणनीति सोच कर की गई है वरना हरक के साथ कुछ और विधायकों का अचानक पार्टी छोड़कर पाला  बदल देना बी जे पी के लिए बेहद घातक सिद्ध हो सकता था। पार्टी द्वारा की गई सख्त कार्यवाही से कार्यकर्ताओं में खुशी देखी गई परंतु फिलहाल हरक को बड़ा फरक पड़ना निश्चित है क्योंकि चर्चाओं के आधार पर उनके साथ बी जे पी छोड़ने वाले तथाकथित नेता बदली हुयी परिस्थितियों में अब पार्टी के ही साथ रहने की कसमें खा रहे हैं । उधर हरक सिंह रावत घटनाक्रम के बाद कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी आलाकमान को संदेश भेज दिया है कि उनकी पिछली सरकार गिराने वाले बी जे पी में शामिल होने वाले नेताओं  को दोबारा पार्टी में शामिल करने से पहले कार्यकर्ताओं की भावनाओं का भी ख्याल रखा जाए परंतु जिस प्रकार वर्तमान विधानसभा में  विपक्ष के नेता और निवर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह हरक को पार्टी में शामिल करवाने के लिए जोर लगा  रहे हैं उससे भी साफ लगता है कि कांग्रेस में भी दूसरे गुट द्वारा  भीतर ही भीतर हरीश रावत को कमजोर करने के लिए भी भविष्य की यानि चुनाव बाद की रणनीति बनायी जा रही है। तमाम चुनावी सर्वेक्षणों में हरीश रावत को मुख्य मंत्री पद पर सबसे ज्यादा पसंदीदा होने के बावजूद  उन्हें पार्टी द्वारा सी एम चेहरा घोषित न करना भी इसी रणनीति का भाग लगता  है। पिछले चुनावों में मात्र 11 सीटों पर सिमटी कांग्रेस इस बार सत्ता में आने का मजबूत दावा तो कर रही है मगर प्रदेश में पूरी तरह से दो खेमों में बंटी कांग्रेस के दोनों गुटों के बीच  खुलेआम सत्ता संघर्ष पार्टी को कमजोर कर रहा है। एक तरफ भारी बहुमत से पिछला चुनाव जीती बी जे पी वर्तमान मुख्यमंत्री युवा पुष्कर धामी जो अपने छोटे से कार्यकाल में ही कई ओपिनियन पोल में  पुराने खाँटी और दो बार प्रदेश के मुखिया और केंद्र में सांसद और मंत्री रह चुके हरीश  रावत को बड़ी चुनौती देने में सफल लग रहे हैं ऐसे युवा  के नेतृत्व में बी जे पी अपने संगठित कार्यकर्ताओं और एकजुट टीम के बल पर फिर से पुराने मिथकों को तोड़कर सरकार बनाने का दावा कर रही है और दूसरी ओर प्रदेश में नई नवेली आम आदमी पार्टी भी कहीं कोई कसर नहीं छोड़ रही है वहीं हरक सिंह रावत जैसे अविश्वसनीय नेताओं को फिर से पार्टी में शामिल करवाकर हरीश रावत जनता और अपने कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश न जाने का प्रयास जरूर कर रहे हैं मगर फिलहाल लगता नहीं कि कांग्रेस आलाकमान उनकी बातों पर ज्यादा ध्यान देगा और लगभग तय है कि हरक सिंह रावत जल्दी ही सोनिया गांधी-राहुल गांधी  जिन्दाबाद के नारों के साथ ढोल नगाड़े बजाते राजीव भवन देहरादून में  हरीश रावत की बगल में हँसते हुए दिखायी देंगे।बक़ौल हरीश रावत आपदा में तो वैसे भी सांप और नेवला साथ हो जाते हैं। मगर जो भी हो बी जे पी के लिये तों ये सब फ़ायदे का सौदा ही होगा।

 

 

 

 

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