वर्त्तमान में पूरे भारत में कोरोनावायरस की लगातार बढ़ती संख्या पर ऐसा लगता है कि अज्ञानता या अज्ञात भय के कारण लोग या तो इसका टेस्ट नही करवा रहे और जितने सैंपल भेजे भी जा रहे हैं तो उस रिपोर्ट को आने में देरी लग रही है, उत्तराखंड में पहले एक ही लैब में इस वायरस का टेस्ट होता था मगर अब ऋषिकेश एम्स में भी यह सुविधा उपलब्ध होने के कारण स्वास्थ्य विभाग थोड़ी राहत महसूस कर रहा होगा. ऐसे में अब कोरोना की जांच स्ट्रीप तकनीक से हो सकेगी। बीएचयू में शोध कर रहीं छात्राओं के द्वारा विकसित इस स्ट्रीप तकनीक में दावा किया जा रहा है ये जांच की तकनीक बिल्कुल नई है। इस तकनीक में सीधे वायरस के प्रोटीन की जांच की जाती है और इससे रिपोर्ट के गलत आने की आशंका नही रहती है। इस तकनीक से की गयी जांच का परिणाम बिलकुल सटीक होगा क्योंकि इस से सिर्फ यूनिक वायरस को ही सर्च किया जाता है। आज दिनों दिन संक्रमण की बढ़ती संख्या को देखते हुए जांच की गति को बढ़ाने में यह तकनीक बेहद कारगर सिद्ध हो सकती है। फिलहाल इस तकनीक को तभी लागू किया जा सकेगा जब इसके लिए पेटेंट स्वीकृति मिल जाएगी.