युद्ध डर कर नहीं जीते जाते….

लॉक डाउन के तीन चरण बीत जाने और चौथे चरण में भी देश में संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती दिखने से लोगों में घबराहट पैदा होना स्वाभाविक है.मगर इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए. जैसे जैसे टेस्टिंग की संख्या बढ़ती जाएगी संक्रमित लोगों की संख्या में वृद्धि दिखनी भी निश्चित है. लॉक डाउन के शुरू के चरणों में लोगों को इस बीमारी का ज्यादा ज्ञान ही नहीं था. देश में फ़ास्ट टेस्टिंग की सुविधा भी अन्य स्वास्थ्य सेवाओं जैसी ही लुंज पुंज थी फलस्वरूप कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या मामूली थी और लोगों में घबराहट भी कम थी मगर पहली बार जैसे ही तब्लीगी मरकज का मामला सामने आया और उसके बाद मरकज में शामिल लोगों के टेस्ट किये जाने पर देश में संक्रमित लोगों की संख्या में इजाफा होने लगा तो पूरे देश में तब्लीगी मरकज के खिलाफ गैर जरूरी साम्प्रदायिक माहौल भी बनाया गया जबकि उसके पीछे असली कारण ये था कि तब तक देश में कुछ और लैब में टेस्टिंग शुरू की जा चुकी थी और उनके रिजल्ट भी जल्दी आने लगे थे.फलस्वरूप संक्रमित लोगों की संख्या में भी धीरे धीरे वृद्धि होने लगी मगर अब दूसरी बार जबसे प्रवासियों को अपने अपने प्रदेश और घरों को भेजने की प्रक्रिया शुरू की गयी तो अब ज्यादा संख्या में टेस्टिंग होने के कारण इस संक्रमण से पीड़ित लोगों की संख्या में भी तेजी से बढ़ौतरी होनी स्वाभाविक थी. पहली बार तब्लीगी मरकज प्रकरण और दूसरी बार प्रवासियों के अपने अपने प्रदेशों में लौटने के दौरान वर्तमान में संक्रमित लोगों की संख्या एक लाख से ऊपर पंहुच जाने के कारण लोगों में और घबराहट बढ़नी स्वाभाविक है.दुखद यह है कि इसी डर और घबराहट के कारण कई गांवों में  लोग भयभीत होकर अपने ही लोगों के अपने ही गांव लौटने पर उनका विरोध करते सुने गए हैं. डर का आलम ये है कि उत्तराखंड हाई कोर्ट को भी आदेश करना पड़ा कि बाहर से आने वाले प्रवासियों को राज्य की सीमा के प्रवेशद्वार पर ही क्वारंटीन किया जाय. मगर विशेषज्ञों के अनुसार मात्र संख्या बढ़ने से घबराने की कहीं जरूरत नहीं है.बल्कि ये इस बीमारी से बचाव के लिए बेहतर ही है कि ज्यादा से ज्यादा संक्रमित लोगों का पता चल सके ताकि उनका इलाज भी समय पर किया जा सके और देश में संक्रमण सामुदायिक स्तर पर न पंहुच सके. हमारे देश में राहत की बात यही है कि संक्रमण के कारण बहुत ज्यादा संख्या में मौत नहीं हो रही हैं और ज्यादातर लोग ठीक होकर रोज अपने अपने घरों को लौट रहे हैं. इसलिए इस समय अनावश्यक भय भीत होने की बजाय सभी लोग मास्क का प्रयोग करें, हाथों को निरंतर साबुन से धोएं और एक दूसरे से दो गज दूरी पर रहने के नियम का पालन करें. यदि इन नियमों का ही पूरी तरह से पालन किया जाय तो संक्रमित होने के बावजूद कोई इंसान दूसरे लोगों में संक्रमण नहीं फैला पायेगा और क्योंकि इस वायरस का असर ज्यादा समय तक नहीं रहता इसलिए यदि इस समयान्तर्गत यह किसी के संपर्क में ना आये तो अपने आप ख़त्म हो जाता है साथ ही संक्रमित व्यक्ति भी एक समयावधि में संक्रमण से रोग मुक्त हो जाता है.इसलिए आशा कीजिये कि सरकार ज्यादा से ज्यादा ही नहीं बल्कि हर एक संक्रमित व्यक्ति तक पंहुचे और उनको आइसोलेट कर उनकी देखभाल और इलाज कर सके.भले ही ये संख्या आज  115000 से बढकर पांच. दस या पचास लाख ही क्यों न पंहुच जाय. घबराने की जरूरत नहीं क्योंकि जितनी ज्यादा संख्या बढ़ेगी उतना जल्दी इस बीमारी पर काबू भी पाया जा सकेगा. बस यही सबसे अच्छा तरीका है इस कोरोना की मुसीबत से बचने का..याद रखिये कोई भी युद्ध कभी भी डर कर नहीं जीता जा सकता…और इस समय युद्ध नहीं महायुद्ध चल रहा है…..