आज केंद्र सरकार ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के कल के ट्वीट पर आक्रामक रुख अख्तियार कर राहुल और कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार कर दिया. ज्ञातव्य है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा माँगी गयी सूचना के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दी गई, बैंक ऋण चूककर्ताओं की सूची का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्होंने संसद में एक सवाल में सरकार से बैंक घोटालेबाजों के नाम पूछे थे लेकिन उन्हें जवाब नहीं दिया गया।राहुल ने ट्वीट किया था, ‘संसद में मैंने एक सीधा सा प्रश्न पूछा था- मुझे देश के 50 सबसे बड़े बैंक चूककर्ताओं के नाम बताइए। वित्त मंत्री ने जवाब नहीं दिया। अब रिजर्व बैंक ने नीरव मोदी, मेहुल चोकसी सहित भाजपा के कई ‘मित्रों’ के नाम इस सूची में डाले हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी के नीरव मोदी,मेहुल चौक्सी सहित ५० बड़े लोन माफ़ करने के आरोपों पर कहा कि कांग्रेस नेता ने मामले को मूल संदर्भ से हटाकर सनसनीखेज तथ्यों का सहारा लिया है । सीतारमण ने ट्वीट किया, “श्री राहुल गांधी सांसद और कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता श्री रणदीप सुरजेवाला ने लोगों को भ्रामक तरीके से गुमराह करने का प्रयास किया है। वे मामलों को मूल संदर्भ से बाहर ले जाकर सनसनीखेज तथ्यों का सहारा लेते हैं। ” निर्मला सीतारमण ने अपने ट्वीट में कहा कि राहुल गांधी को डॉo मनमोहन सिंह से सलाह लेनी चाहिए थी कि यह असली सन्दर्भ क्या था। उन्होंने आगे ट्वीट किया, “आरबीआई द्वारा निर्धारित चार-वर्षीय प्रावधान चक्र के अनुसार एनपीए के लिए प्रावधान किए गए हैं। बैंकों द्वारा पूर्ण प्रावधान किए गए एनपीए पर पूरी कार्यवाही किये जाने पर लोन राइट ऑफ करने पर भी उधारकर्ता के खिलाफ वसूली जारी रखी जाती है। इसमें कोई लोन माफ नहीं किया गया है। वे डिफॉल्टर्स जो लोन के भुगतान करने की क्षमता होने, डायवर्ट या साइफन ऑफ फंड्स के बावजूद भुगतान नहीं करते हैं, या बैंक की अनुमति के बिना अपनी सुरक्षित परिसंपत्तियों के निपटान को प्रयास रत होते हैं उन्हें विलफुल डिफॉल्टरों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। वर्त्तमान सूची में वे यूपीए के ‘फोन बैंकिंग’ से लाभान्वित होने वाले और उससे अच्छी तरह से जुड़े हुए प्रमोटर हैं। दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस मामले पर ट्वीट कर कहा कि ‘राहुल गांधी को कर्ज ‘बट्टे खाते में डालने यानि राइट- ऑफ और ‘माफ -करने’ यानि वेव ऑफ के बीच अंतर समझने के लिए पी चिदंबरम से ट्यूशन लेना चाहिए।उन्होंने ट्वीट किया, ‘बट्टा खाता में डालना लेखांकन की एक सामान्य प्रक्रिया है और इससे चूककर्ता के खिलाफ वसूली या कार्रवाई पर रोक नहीं लगती है। उन्होंने जोर दे कर कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने किसी का भी लोन माफ नहीं किया है।