मसूरी,
राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के अन्तर्गत पिछली 10 मई से उत्तराखंड में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों को कोविड टीका लगाने की शुरुआत हो चुकी है.इसके लिए इस वर्ग के नागरिकों के लिए अलग से कुछ केंद्र भी खोले गए हैं. प्रदेश में टीकों की कमी और टीकाकरण केंद्र पर अनावश्यक भीड़ जमा न हो और लोगों को बेवजह ज्यादा परेशानियां न हों इसके लिए हर नागरिक को cowid.gov.in पर रजिस्ट्रेशन के बाद टीकाकरण केंद्र और उसमें टाइम स्लॉट बुक करवाना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके लिए भी देहरादून जिले में केवल एक दिन पहले ही शाम बजे विंडो खुलती है अर्थात यदि आपको परसों 19 मई का स्लॉट बुक करना है तो कल शाम यानी 18 मई को 4.00बजे ही यह संभव हो सकता है . यहाँ तक तो सब ठीक है मगर देहरादून जिले में हर टीकाकरण केंद्र पर देखा जा रहा है कि 4.02 पर ही सभी केंद्रों केसभी 2900स्लॉट बुक दिखने लगते हैं और लोग मायूस होकर फिर दूसरे दिन का इंतजार करने को विवश हैं. मगर अगले दिन भी फिर वही कहानी दोहराई मिलती है. लोगों ने चार बजे से पहले ही सब इंतजाम करना शुरू कर दिया मगर तीसरे दिन भी वही दृश्य देख कर ज्यादातर युवा वर्ग सोशल मीडिया में सरकार पर अपनी भड़ास निकाल रहा है और पूरी व्यवस्था पर ही उंगली उठा रहा है. पिछले कुछ दिनों से तो सोशल मीडिया पर बस यही चरचा दिख रही है कि सब सेटिंग का खेल है. लोगों की इन आशंकाओं को बल मिलना तब और शुरू हो रहा है जब मसूरी में ऋषिकेश और देहरादून के लोगों का मसूरी टीकाकरण केंद्र में पंहुचना शुरू होता है और देखते देखते पता चलता है कि उस दिन के200 कोटे में तो मसूरी के मात्र 10-15 लोगों को ही स्लॉट बुक हो पाए हैं. बिना रजिस्ट्रशन और स्लॉट बुक किये लोग जब किसी उम्मीद के साथ टीकाकरण केंद्र पर पंहुचते हैं तो नियम का हवाला सुनकर उन्हें मायूस ही घर वापस लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है. उनके मन में ये सवाल उठाना लाजिमी भी है कि वो भी पूरे 4.00बजे अपने सिस्टम लॉग इन करके बैठे होते हैं और अगले ही पल सब स्लॉट बुक्ड दिखने लगते हैं .आखिर ये सब क्या है ? जिसका गुस्सा सोशल मीडिया पर वो सभी आपस में ही तर्क वितर्क कर उतार देने को मजबूर हो जाते हैं. मसूरी के युवाओं का ये कहना बिलकुल जायज है कि उन्हें इससे कोई ज्यादा ऐतराज नहीं है कि बाहर का व्यक्ति यहाँ के केंद्र का उपयोग करे मगर इस लॉक डाउन में और कर्फ्यू के बावजूद शहर से बाहर के सौ डेढ़ सौ लोग बिना रोक टोक के शहर में प्रवेश करेंगे तो मसूरी में पहले से चल रही गंभीर संक्रमण की स्थिति और बिगड़ने की बड़ी संभावनाएं और आशंकाएं हैं क्योंकि जब कोई भी बाहर का व्यक्ति बिना RTPCR के कहीं नहीं जा सकते तो ये लोग बिना टेस्ट कराये ऐसे क्यों और किसकी अनुमति से पंहुच रहे हैं जबकि सरकारी गाइड लाइन के हिसाब से लोगों को अपने घर के निकटतम केंद्र तक ही टीका लगवाने के लिए जाने की अनुमति है.इसलिए ऋषिकेश और देहरादून के लोग इतनी दूर तक बिना रोक टोक के कैसे पंहुच सकते हैं. ये प्रश्न तो बिलकुल वाजिब है.
अंत में सवाल ये है कि इस पूरी व्यवस्था को देखने वाले लोग इतनी गंभीर समस्या को नजरअंदाज कैसे कर सकते हैं?. बात टीके की नहीं है लोगों की सुरक्षा की है. मसूरी जैसी छोटी जगह में लोगों ने पिछले महीने में कितने ही अपनों को खो दिया है कि सबके भीतर इस महामारी का डर गहरे तक बैठ चुका है.इसलिए जैसा कि व्यापार मंडल के महामंत्री जगजीत कुकरेजा का सुझाव है कि बेहतर यही है कि इस आयु वर्ग के लोगों को भी 45 से ऊपर आयु वर्ग के लोगों की तरह ऑफलाइन टीका लगवाने की व्यवस्था की जाय और इसमें जितनी जल्दी की जाएगी उतना सभी के लिए बेहतर होगा.
महामंत्री जगजीत कुकरेजा और कोषाध्यक्ष नागेंद्र उनियाल ने कहा है कि यदि प्रशासन ऐसी व्यवस्था कर देता है तो व्यापार मंडल, टीम प्रयास के साथ मिलकर टीकाकरण केंद्र पर जरूरी रजिस्ट्रेशन कार्य में उसकी मदद करने को तैयार है.