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  1.               संकट में पड़ सकती है गहलोत सरकार... राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच फिर से रस्साकस्सी होती दिख रही है है. मुख्यमंत्री गहलोत कई बार बी जे पी पर सरकार गिराने के आरोप लगाते आ रहे हैं. और कह रहे हैं कि राजस्थान में ‘ऑपरेशन लोटस’ की तैयारी हो रही है. उधर बीजेपी का कहना है कि ये सब कांग्रेस में अंदरूनी लड़ाई का मामला है और बीजेपी को बेवजह इसमें घसीटा जा रहा है.  बी जे पी सांसद और सचिन पायलट के मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मामले पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि “मेरे पुराने साथी सचिन पायलट को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत द्वारा दरकिनार और प्रताड़ित किए जाते देखकर दुख होता है. यह बताता है कि कांग्रेस में प्रतिभा और क्षमता को तवज्जो नहीं दी जाती.” जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनावों से पूर्व ही दोनों नेताओ में बर्चस्व की लड़ाई शुरू हो चुकी थी.गहलोत ने तब होशियारी से अपने खेमे के लगभग 20 लोगों को निर्दलीय चुनाव लडवा कर अधिकांश को जितवाने में भी बड़ी भूमिका निभाई थी. चुनाव नतीजे के बाद और सरकार बनाने की स्थिति होने के बावजूद भी राजस्थान में मुख्यमंत्री तय करने में ही काफी दिन लगे थे और बाद में गहलोत को सी एम् एवं सचिन को डिप्टी सी एम् बना कर पार्टी ने गतिरोध समाप्त किया था . मगर पिछले दो महीनों से या यूं मानिये कि राज्य सभा चुनाव से पहले से गहलोत बार बार कहते आ रहे हैं कि बी जे पी विधायकों को 25 करोड़ रुपये का लालच देकर तोड़ने की कोशिस में लगी है. सूत्रों का मानना है कि गहलोत पायलट को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से हटवा कर अपने पसंद के व्यक्ति को कुर्सी सौंपना चाहते हैं. जबकि पायलट इस पद पर बने रहना चाहते हैं. खबर ये भी है कि पायलट  हाई कमान से मिलने कल दिल्ली गए  मगर सोनिया राहुल ने उनको मुलाकात का समय नहीं दिया. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सचिन पायलट  आज कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी शामिल नहीं होंगे.पायलट के साथ लगभग30 विधायकों का समर्थन बताया जा रहा है. फिलहाल राजस्थान में कांग्रेस बी जे पी के बीच ही नहीं बल्कि सी एम् और डिप्टी सी एम् के बीच भी सत्ता का शह और मात का खेल चल रहा है और बहुत संभव है कि मध्य प्रदेश की भांति राजस्थान में भी बड़ी जल्दी राजनीतिक सत्ता पलट हो जाय .
  2.             बैंकों में धोखाधड़ी की खबरें तो रोज न्यूज़ चैनल अखबारों में सभी देखते पढ़ते हैं. मगर नकली बैंक की कहानी किसी फ़िल्मी स्टाइल में नहीं बल्कि हकीकत में सामने आयी है .ये चौंकाने वाली खबर तमिलनाडु के कडलोर जिले के पनरुत्ती शहर की है जिसमें लॉक डाउन के दौरान स्टेट बैंक के पूर्व कर्मचारी के 19वर्षीय बेटे कमल बाबू ने एक हू बहू स्टेट बैंक की नकली शाखा ही खोल दी . जानकारी मिलने पर जब बैंक के अधिकारी वहां पंहुचे तो इसे देख कर हैरान रह गए. बिलकुल असली दिख रही इस ब्रांच में कंप्यूटर,लॉकर,स्टेसनरी, बैंक के फर्जी कागज़ तक मौजूद थे.
  3. कानपुर पुलिस हत्याकांड के बाद स्पेशल टास्क फोर्स (STF) द्वारा विकास दुबे को दी गयी मुखबिरी के आरोपी सब-इंस्पेक्टर के के शर्मा को गिरफ्तार करने के बाद अब केके शर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं हैं. उन्होंने अपनी और पत्नी की सुरक्षा तथा जान को खतरा होने की संभावना जताई है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की कि उन पर लगे आरोपों की किसी स्वतंत्र एजेंसी या CBI से जांच करवाई जाए.अपनी याचिका में उन्होंने यह भी कहा कि ”FIR में जिन आरोपियों के नाम हैं, उनकी गैर न्यायिक हत्याएं दिखाती हैं कि उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग कैसा काम कर रहा है.”
  4.             योगी सरकार की ठोक देंगे नीति और ताजा ताजा विवादास्पद विकास दुबे एनकाउंटर मामला हो या हैदराबाद में बलात्कार के अभियुक्तों को मौकास्थल पर क्राइम सीन क्रिएट करने के नाम हुयी मुठभेड़ में मार देने वाला किस्सा हो इस सब के पीछे एक तर्क यह भी दिया जाता है कि ऐसा जनभावना के तहत किया गया होगा.अधिकाँश लोग इस सबका समर्थन भी करते देखे जाते हैं मगर क़ानून के जानकार और कुछ पत्रकार इस सबसे सहमत नहीं है.
    वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं, “जनभावना के नाम पर क़ानून और संविधान की तिलांजलि तो नहीं दी जा सकती है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या हुई, इंदिरा गांधी की हत्या हुई, राजीव गांधी की हत्या हुई, कसाब को लोगों ने अपनी आँखों से देखा था कि वो निर्दोष लोगों को मार रहा है, फिर भी ऐसा मामलों में भी क़ानूनी प्रक्रिया का पूरा पालन किया गया और उन्हें अपनी बात रखने का मौक़ा दिया गया. जनभावना तो तब भी रही होगी कि इन अपराधियों को मार दिया जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ.”
    सुभाष मिश्र कहते हैं कि जनभावना के नाम पर पुलिस या सरकार को मनमानी करने का अधिकार क़तई नहीं मिलना चाहिए, अन्यथा पुलिस भी अपराधियों के एक गैंग की तरह बन जाएगी जो कभी सरकार के इशारे पर तो कभी ख़ुद भी फ़र्ज़ी एनकाउंटर में निर्दोष लोगों को निशाना बनाने लगेगी.
    दूसरी और यूपी के डीजीपी रह चुके रिटायर्ड आईपीएस एके जैन कहते हैं कि गैंग बनाकर अपराध करने वाले लोगों के साथ थोड़ी सख़्ती करनी ही पड़ती है. जैन कहते हैं कि ऐसा करने से अपराधियों में ख़ौफ़ तो होता ही है, अपराध में कमी भी आती है और पुलिस का मनोबल भी बढ़ता है.
    एके जैन कहते हैं, “कुख्यात लोगों को मारने से पुलिस का मनोबल बढ़ता है और आम जनता का भी मनोबल बढ़ता है. अपराधी को ख़त्म करने के लिए साम-दाम-दंड-भेद हर तरह की नीति अपनानी पड़ती है. मैंने ख़ुद कई दुर्दांत डाकुओं को ख़त्म करने के लिए चलाए गए ऑपरेशन्स का नेतृत्व किया और सफलता भी मिली. उससे आम जनता में जो प्रसन्नता थी, वो देखने लायक़ थी.”
    सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रशांत भूषण कहते हैं, “क्या पुलिस को बिना क़ानूनी प्रक्रिया के किसी अभियुक्त को मारने का अधिकार दिया जा सकता है. यह स्थिति हमें कहां ले जाएगी, इसकी आप कल्पना कर सकते हैं.”
    “कल को कोई मुख्यमंत्री बनेगा और जिससे उसे दुश्मनी निकालनी होगी, उसके ऊपर कोई मुक़दमा दर्ज कराके उसका एनकाउंटर करा देगा. विकास दुबे आतंकवादी था और उसे मौत मिलनी ही चाहिए थी लेकिन सच्चाई यह है कि पुलिस ने उसका मुंह बंद करने के लिए उसे मार दिया.”(courtesy BBC)
  5.           सुप्रीम कोर्ट आज तिरुवनंतपुरम केरल में 5000साल पुराने पद्मनाभस्वामी मंदिर की अथाह और बेहिसाब संपत्ति पर राज्य सरकार के अधिकार के केरल हाई कोर्ट के 2011 के फैसले को त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दी गयी चुनौती पर फैसला सुनाएगा. इस फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं. यह सर्वज्ञात है कि देश के तमाम मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा हर साल अरबों रुपये का दान और भेंट चढ़ाया जाता है.इस संपत्ति पर दावा हमेशा विवादास्पद रहा है. उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से इन मंदिरों की व्यवस्थाओं पर भी असर पड़ सकता है .
  6.            8 जनवरी 2020 को पाक सीमा पर अनंतनाग में ऑन डयूटी लापता हुए गढ़वाल राइफल्स के हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी की पत्नी और बच्चे अब भी उनके लौटने की आस में हैं मगर अब भारतीय सेना ने उन्हें बैटल कैजुअल्‍टी मान लिया है.इसका अर्थ है कि सेना की नजर में और उसके रिकॉर्ड में अब वो जीवित नहीं हैं ..
  7.           रूस ने दावा किया है कि उसने कोरोना वायरस की  पहली वैक्सीन बना ली है.रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने अनुसार, इंस्टिट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के डायरेक्टर वादिम तरासोव ने कहा है कि “दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है.”
    उन्होंने बताया कि ‘मॉस्को स्थित सरकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी सेचेनोफ़ ने ये ट्रायल किए और पाया कि ये वैक्सीन इंसानों पर सुरक्षित है. जिन लोगों पर वैक्सीन आजमाई गई है, उनके एक समूह को 15 जुलाई और दूसरे समूह को 20 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी.’यूनिवर्सिटी ने 18 जून को रूस के गेमली इंस्टिट्यूट ऑफ़ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा निर्मित इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल शुरू किए थे.

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