लोक सभा चुनाव के पहले चरण में वोटर उदासीन और पार्टियां परेशान, कम वोटिंग किसका करेगी कल्याण। आर एस एस और बी जे पी के बीच क्या कुछ ठीक नहीं।

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मसूरी,

देश में लोकसभा चुनावों के पहले चरण में जिन 102 सीटों पर कल मतदान समाप्त हुआ उनमें वोटिंग प्रतिशत में बड़ी गिरावट को देखकर राजनीतिक दलों के भीतर सन्नाटा सा  छाया गया है । भले ही सत्ता और विपक्ष इसमें अपने अपने फायदे गिना  रहे हो परंतु एक अनजाना सा भय उन्हें अवश्य सता रहा होगा। वैसे तो असली परिणाम 4 जून को दुनिया के सामने होंगे मगर  जनता के बीच बड़ी चर्चाएं  हैं कि क्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता इन चुनावों में उदासीन भाव लिए घर बैठे हैं क्योंकि जिस प्रकार से भ्रष्टाचार के बड़े बड़े आरोपियों को मोदी अमित शाह की जोड़ी ने  न सिर्फ बी जे पी में शामिल किया है बल्कि उन्हें बड़े महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त भी कर दिया है उससे आम जनता के साथ बी जे पी के भीतर ही अपने नेतृत्व के प्रति नाराजगी बढ़ चुकी है और पार्टी के पुराने वफादार और कर्मठ कार्यकर्ता पिछले चुनावों की भांति जोश से काम नहीं कर पा रहे हैं जिसका पार्टी को बड़ा नुकसान भी पहुँच सकता है। चुनावी चंदे  के खुलासे से पूरे देश में और  दिल्ली और झारखंड  के सी एम को जेल में डाल देने से भी उनके प्रदेशों की  जनता में  नाराजगी, अग्नि वीर योजना  और  उत्तर प्रदेश विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूतों, जाटों का पार्टी के खिलाफ होना भी आगामी चरणों में हरियाणा, उत्तरप्रदेश ,दिल्ली, झारखंड ,राजस्थान में मोदी को बड़ा झटका दे सकता है। और तो और अब की बार चार सौ पास के अति उत्साही नारे ने स्वयं बी जे पी को ही बड़ा नुकसान पहुँचाने का काम किया लगता  है। फिलहाल पहले चरण की वोटिंग के बाद जैसा कि तमाम राजनीतिक पंडितों ने बी जे पी की सीट कम होने का अनुमान लगाया है उसके अनुसार यदि बी जे पी अकेले 272 सीट नहीं जीत पाई तो मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं बेहद कमजोर होंगी क्योंकि देश की राजनीति में राजभर, नीतीश कुमार,मांझी, शिंदे ,अजीत पवार  जैसे  लोगों का इतिहास काफी खराब देखा जा चुका है और फिर पार्टी के भीतर ही कोई नया नेतृत्व नितिन गडकरी जैसे लोकप्रिय और सर्व स्वीकार्य नेता के रूप में उदय होने की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं जिनको मोदी अमित शाह की जोड़ी राजनीतिक रूप से  निपटाने का प्रयास करती  रही है। पूरी संभावनाएं ये भी हैं कि बी जे पी समर्थकों मे मोदी के विकल्प के रूप में माने जाने वाले योगी उत्तर प्रदेश में जीते अपने समर्थक सांसदों को भी नितिन गडकरी के पक्ष में लामबंद करने के प्रयास करेंगे क्योंकि योगी और गडकरी दोनों संघ की भी बड़ी पसंद माने जाते हैं। बहरहाल यह तय है कि देश के अगले प्रधानमंत्री को बनाने में एक बार फिर उत्तरप्रदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।

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