मध्य प्रदेश में मोहन यादव ,छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय जैसे अनजान से नेताओं को चिर परिचित चौंकाने वाले अंदाज में बड़े बड़े स्थापित नेताओं के ऊपर तरजीह देकर नए सी एम घोषित करने के बाद आज एक बार फिर देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अपने खास पसंदीदा और पहली बार विधायक चुने गए भजन लाल शर्मा को राजस्थान के मुख्य मंत्री की कुर्सी पर स्थापित कर साबित कर दिया है कि फिलहाल वही बी जे पी में प्रधानमंत्री मोदी के सबसे भरोसे मंद और उनके बाद सबसे ताकतवर नेता हैं। राजनीति के तमाम दाँव पेंचों में माहिर अमित शाह भविष्य की राजनीति का ताना बाना बड़ी कुशलता के साथ बुन रहे हैं। उत्तरप्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की बी जे पी समर्थकों में भले ही ज्यादा लोकप्रियता हो मगर अमित शाह को भली भांति पता है कि शिव राज चौहान, वसुंधरा राजे और रेमन सिंह जैसे दिग्गज और अपने अपने राज्यों में ताकतवर नेताओं से ज्यादा नए नेता भविष्य में उनके समर्थन के लिए ज्यादा मुफीद रहेंगे। तीनों प्रदेशों में दो दो उप मुख्य मंत्री बना कर जातिगत और राजनीतिक फायदे की गणित में अपना फार्मूला फिट करने में अमित शाह ने पार्टी और जनता के सामने खुद को सबसे अव्वल साबित करने में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उनकी हैसियत बताकर और अपने मनपसंद नेताओं को तीन राज्यों की बागडोर सौंप कर फिलहाल अमित शाह पार्टी के भीतर अपनी बढ़त बनाने में कामयाब हो चुके हैं और भविष्य की राजनीति का सबसे बड़ा खिलाड़ी होने का संकेत दे चुके हैं मगर हिंदी भाषी राज्यों में पार्टी के भीतर ही योगी की उनके मुकाबले ज्यादा लोकप्रियता और वरिष्ठ नेताओ को नजरंदाज कर अपने खास समर्थकों को आगे बढ़ाने की रणनीति ही मोदी के बाद कौन? की स्थिति में उनकी राह की सबसे बड़ी अड़चन भी साबित हो सकती है।
बहरहाल आज की तारीख में देश की राजनीति में मोदी अमित शाह की जोड़ी नंबर वन जोड़ी साबित हो चुकी है । राजनीति में लोकप्रियता से ज्यादा जीत हार ज्यादा मायने रखती है और आज की जीत का सेहरा भले ही प्रधानमंत्री मोदी के सिर बांधा जा रहा हो मगर पार्टी के भीतर मोदी से ज्यादा अमित शाह को दी जा रही ताकत का खेल भविष्य की राजनीति के संदर्भ में पूरा देश देख और समझ रहा है।